Jab te mann parteet bhai Lyrics :
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जब ते मन परतीत भई। टेक
तब ते अवगुन छूटन लागे, दिन दिन बाढ़त प्रीति नई। १
सुरति निरति मिलि ज्ञानजौहरी, निरखि परखि निज बस्तु लई।
थोड़ी बनिज बहुत ह्वै बाढ़ी, उपजन लागे लाल मई। २
अगम निगम तू खोज निरंतर, सत्त नाम गुरु मूल दई।
कहैं कबीर साधु की संगति, हुति विकार सो छूट गई। ३
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