Jag mein samajh boojh raho bhai Lyrics :
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जग में समझ बूझ रहो भाई। टेक
यह दुनिया बहु रंग बावरी, जहँ तहँ तीर्थ नहाई।
कटे न पाप रहे तन भीतर, मन के मैल न जाई । १
जोगी तपसी तप में भूले, पंडित भूल पंडिताई।
सत्य बचन कबहुँ नहिं आये, मिथ्या जन्म गँवाई। २
साहु महाजन धन में भूले, दया दीन्ह बिसराई।
पाप की टोपी सिर पर बाँधे, माया जाल बिलाई। ३
शब्द विदेह राम सर्वोपरि, सब घट रहत समाई।
कहैं कबीर अबकी जो बूझे, अमर लोक चलि जाई। ४
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