Chali hai kulborni Ganga nahay Lyrics :
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चली है कुलबोरनी गंगा नहाय । टेक
सतुवा कराइन बहुरी भुंजाइन, घूँघट ओटे मसकत जाय। १
गठरी बाँधिन मोटरी बाँधिन, खसम के मूड़े दिहिन धराय। २
बिछुवा पहिरिन अौंठा पहिरिन, लात खसम के मारिन धाय। ३
गंगा नहाइन जमुना नहाइन, नौ मन मैलहि लिहिन चढ़ाय। ४
पाँच पचीस के धक्का खाइन, घरहु की पूंजी आई गँवाय। ५
कहैं कबीर हेत करु गुरु से, नहीं तोर मुक्ती जाइ नसाय। ६
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