Chalhu ka tedhho-tedhho-tedhho Lyrics :
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चलहु का टेढ़ो- टेढ़ो- टेढ़ो।
दशहूँ द्वार नरक भरि बूड़े, तूँ गंधी को बेड़ो। टेक
फूटै नैन हृदय नहिं सूझे, मति एकौ नहिं जानी।
काम क्रोध तृष्णा के माते, बूड़ि मुये बिनु पानी। १
जो जारे तन भस्म होय धुरि, गाड़े किरमिटी खाई।
सीकर स्वान काग का भोजन, तन की इहै बड़ाई। २
चेति न देखु मुग्ध नर बौरे, तोहि ते काल न दूरी।
कोटिन यतन करो यह तन की अन्त अवस्था धूरी। ३
बालू के घरवा में बैठे, चेतन नाहिं अयाना।
कहहिं कबीर एक राम भजे बिनु, बूड़े बहुत सयाना। ४
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