Guru mohi jeevan moor dayee Lyrics :
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गुरु मोहि जीवन मूर दई। टेक
जल थोड़ा बरखा भई भारी, छाय रही सब लाल मई। १
छिन छिन पाप कटन जब लागे, बाढ़न लागी प्रीति नई। २
अमरापुर में खेती कीन्ही, हीरा नग ते भेंट भई। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधे, मन की दुबिधा दूर भई। ४
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