Guru bin kaun batavey baat Lyrics :
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गुरु बिन कौन बतावे बाट। टेक
भ्रांति पहाड़ी नदिया बिच में, अहंकार की लाट। १
काम क्रोध दो पर्वत ठाड़े, लोभ चोर संघात। २
मद मत्सर का मेघा बरसत, माया पवन बढ़ ठाट । ३
कहत कबीर सुनो भाई साधो, क्यों तरना यह घाट। ४
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