Ko Jaanei Baat Paraye Mann Ki Lyrics :
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को जानै बात पराये मन की। टेक
रात अँधेरी चोरा डाँटे, आश लगाये पराये धन की। १
आँधर मिरग बने बन डोलै, लागा बान खबर ना तन की। २
महा मोह की नींद परी है, चूनर लेगा सुहागिन तन की। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, गुरु जाने हैं पराये मन की। ४
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