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Koi Ram Rasik Peeyahugey, Peeyahugey Yug Jeeyahugey Lyrics – कोई राम रसिक पीयहुगे, पीयहुगे युग जीयहुगे।

Koi Ram Rasik Peeyahugey, Peeyahugey Yug Jeeyahugey Lyrics :

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कोई राम रसिक पीयहुगे, पीयहुगे युग जीयहुगे। १

फल लंकृत बीज नहिं बकला, शुक पन्छी तहाँ रस खाई। २ 

चुवै  न  बुंद अंग नहिं भीजै, दास भंवर सब संग लाई। ३ 

निगम  रसाल  चारि  फल  लागे, तामें  तीन  समाई। ४ 

एक दूरि चाहें सब कोई, जतन जतन काहु बिरले पाई। ५ 

गये बसंत ग्रीष्म ऋतु आई, बहुरि न तरिवर तर आवै। ६ 

कहैं कबीर स्वामी सुखसागर, राम मगन होय सो पावै। ७  

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