Kaya Bauri Chalat Praan Kahe Royi Lyrics :
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काया बौरी चलत प्राण काहे रोई।
काया पाप बहुत सुख कीन्हों, नित उठ मल मल धोई।
सो तन छिया छार होय जैहें, नाम ना लेहैं कोई। १
कहत प्राण सुन काया बौरी, मोर तोर संग न होई।
तोहि अस मित्र बहुत हम त्यागा, संग न लीन्हा कोई। २
लट छिटकाए माता रोवै, खाट पकड़ के भाई।
आँगन बैठी तिरिया रोवै, हंस अकेला जाई। ३
शिव सनकादिक औ ब्रह्मादिक, शेष सहस मुख होई।
जो जो जन्म लिया बसुधा में, थिर न रहो है कोई। ४
पाप पुण्य दोऊ जन्म संघाती, समुझ देख नर लोई।
कहत कबीर अभि अंतर की गति, जानत बिरला कोई। ५
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