Kaya Gadh Jeeto Re Bhai, Tero Kaal Avadhi Tari Jaiee Lyrics :
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काया गढ़ जीतो रे भाई, तेरो काल अवधि टरि जाई। टेक
भरम कोट चँहु ओर फिराये, माया ख्याल रचाई।
कनक कामिनी फंदा रोपे, जन राखे उरझाई । १
पचीस जाल जाके निशदिन ब्यापे, काम क्रोध दोउ भाई।
लालच लोभ खड़े दरवाजे, मोह करे ठकुराई। २
पाँच मोरचा गढ़ के भीतर, इन्हें नाँघ जो जाई।
आशा मनसा तृष्णा कहिये, त्रिगुण बंधो है खाई। ३
ज्ञान का घोड़ा धनुषकर पारख, विवेक लगाम लगाई।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, अमर लोक को पाई। ४
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