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Karo Na Koi Mann Ki Parteet Lyrics – करो न कोई मन की परतीत। 

Karo Na Koi Mann Ki Parteet Lyrics :

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करो न कोई मन की परतीत। 

थाह बताय डुबावत भव  में, बनि   हितकारी  मीत। टेक 
गने न उदय अस्त निसिवासर, छाँह धूप जल सीत। १ 

भटकत फिरे  निरंतर चहुँ दिश, ऐसो महा  पलीत। २ 

स्वर्ग पताल जाय एकपल में, कपि सम अति निर्भीत। ३ 

गण गन्धर्व असुर सुर किन्नर, सबको  लीन्हा  जीत। ४ 

ऋषि मुनि जोगी अौ बनबासी, तपसी सिद्ध  अतीत। ५ 

छले सकल ज्ञानी विज्ञानी, बहु  विधि करि  अनरीत। ६ 

सुने  न  एक  सीख  काहू  की, गावै  अपना  गीत । ७

कहैं  कबीर  डरे  यह  तिनसे, जिनका  गुरु  से प्रीत। ८

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