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Kapat Kartoot Ki Top Kardi Chale, Chot So Ubare Sant Koi Lyrics – कपट करतूत की तोप करडी चले, चोट सो ऊबरे सन्त कोई।

Kapat Kartoot Ki Top Kardi Chale, Chot So Ubare Sant Koi Lyrics :

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कपट करतूत की तोप करडी चले, चोट सो ऊबरे सन्त कोई। १

सील सनाह करि ग्यान का खङ्ग ले, सबद गुरुदेव की सुरति पोई। २

सब्द विचार का कोट नीका किया, तासु कोइ ऊपरे चोट नाहीं। ३ 

चोट तो तासु को लागि हैं अंत में, कपट की कतरनी रहे माहीं। ४ 

जीव  को  बन्धने  एक नारी बनी, दूसरा और नहिं बन्ध हेरे। ५ 

चोर  को  रोकने  एक खोड़ा बना, काठ  बिना दूसरा फंद पैरे। ६ 

ऊबरे कोटि में एक कोई संत जन, काल को काटि हरिनाम गावै। ७  

कपट करतूत  ते राम राजी नहीं, साँच करतूत सब  साधु  भावे। ८ 

कपट को  त्यागकर दम्भ में  ना परे, आवागमन में नाहिं आवे। ९ 

कहैं कबीर  इक  साँच को गहि रहो, बेद कितेब एक साँच गावे। १०          

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