Manva Re Taj Vishayan Ko Sang Lyrics :
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मनुवा रे तज विषयन को संग ॥ टेक ॥
क्षण भंगुर सब बस्तु जगत मैं जिम जल बीच तरंग ॥
मृग तृष्णा जल क्यों भटकावे जैसे मूढ कुरंग ॥
पापन मैल भरा तन मांही कैसे चढे हरिरंग ॥
ब्रम्हानंद सुमर जगदीश्वर होय सकल भय भंग ॥
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