Satsangat Jag Saar Sadho Satsangat Jag Saar Re Lyrics :
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सतसंगत जग सार साधो सतसंगत जग सार रे ॥ टेक ॥
काशी न्हाये मथुरा न्हाये न्हाये हरिद्वार रे
चार धाम तीरथ फिर आये मनका नही सुधार रे ॥ १
बनमें जाय कियो तप भारी काया कष्ट अपार रे
इन्द्रिय जीत करी वश अपने हिरदे नही बिचार रे ॥ २
मंदिर जाय करे नित पूजा राखे बडो आचार रे
साधुजन की कदर न जाने मिले न सर्जनहार रे ॥ ३
बिन सतसंग ज्ञान नही उपजे कर ले जतन हजार रे
ब्रम्हानंद खोज गुरु पूरा उतरो भवजल पार रे ॥ ४
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