Jai Jai Ram Siya Ram Lyrics :
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सोइ सच्चिदानंद घन रामा।
अज बिग्यान रूपो बल धामा।।
ब्यापक ब्याप्य अखंड अनंता।
अखिल अमोघसक्ति भगवंता।।
सुनहु तात यह अकथ कहानी।
समुझत बनइ न जाइ बखानी।।
ईस्वर अंस जीव अबिनासी।
चेतन अमल सहज सुख रासी।।
सो मायाबस भयउ गोसाईं।
बँध्यो कीर मरकट की नाई।।
जड़ चेतनहि ग्रंथि परि गई।
जदपि मृषा छूटत कठिनई।।
हरि ब्यापक सर्बत्र समाना।
प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना।।
देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं।
कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं।।
सोहमस्मि इति बृत्ति अखंडा।
दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा।।
आतम अनुभव सुख सुप्रकासा।
तब भव मूल भेद भ्रम नासा।।
प्रबल अबिद्या कर परिवारा।
मोह आदि तम मिटइ अपारा।।
तब सोइ बुद्धि पाइ उँजिआरा।
उर गृहँ बैठि ग्रंथि निरुआरा।।
अगुन अखंड अनंत अनादी।
जेहि चिंतहिं परमारथबादी।।
नेति नेति जेहि बेद निरूपा।
निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई।
जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई।।
तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन।
जानहिं भगत भगत उर चंदन।।
करहिं जोग जोगी जेहि लागी।
कोहु मोहु ममता मदु त्यागी।।
ब्यापकु ब्रह्मु अलखु अबिनासी।
चिदानंदु निरगुन गुनरासी।।
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