Jag mein tum sam kaun anari Lyrics – जग में तुम सम कौन अनारी।
Jag mein tum sam kaun anari Lyrics : _________________________________________________________________ जग में तुम सम कौन अनारी। चहत बुझावन काम अग्नि को, विषय भोग घृत डारी। टेक रहो सदा झूठे झगरन में, शठ गुरु ज्ञान बिसारी। खाओ पियो अघाय पेट भर, सोयो पाँव पसारी। १ तृष्णा के वश भटकत डोल्यो, निशि वासर झख मारी। छल प्रपंच कपट फैलावत, उमरि गमाई सारी। २ कबहुँ न सुमति आइ उर… Read More »Jag mein tum sam kaun anari Lyrics – जग में तुम सम कौन अनारी।