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Raj

Jag mein tum sam kaun anari Lyrics – जग में तुम सम कौन अनारी।

Jag mein tum sam kaun anari Lyrics : _________________________________________________________________ जग में तुम सम कौन अनारी। चहत बुझावन काम अग्नि को, विषय भोग घृत डारी। टेक रहो सदा झूठे झगरन में, शठ गुरु ज्ञान बिसारी। खाओ पियो अघाय पेट भर, सोयो पाँव पसारी। १ तृष्णा के वश भटकत डोल्यो, निशि वासर झख मारी। छल प्रपंच कपट फैलावत, उमरि गमाई सारी। २ कबहुँ न सुमति आइ उर… Read More »Jag mein tum sam kaun anari Lyrics – जग में तुम सम कौन अनारी।

Ishta Avadhoot Ka Dusht Nahi Sahi Sakey, Dusht Do Dvait Ki Dhrashti Bhaase Lyrics – इष्ट अवधूत का दुष्ट नहिं सहि सके, दुष्ट को द्वैत की दृष्टि भासै ।

Ishta Avadhoot Ka Dusht Nahi Sahi Sakey, Dusht Do Dvait Ki Dhrashti Bhaase Lyrics : _________________________________________________________________ इष्ट अवधूत का दुष्ट नहिं सहि सके, दुष्ट को द्वैत की दृष्टि भासै । १  परम प्रकास जो भेद पावै नहीं, इन्द्रियाँ द्वार की रहित आसै । २ कहत सब संत अगाध मैं कहा कहूँ, बिना निर्बेद नहिं दृष्टि आवै । ३  कहैं  कबीर  यह खेल  बारीक़  है, बिना गुरुदेव… Read More »Ishta Avadhoot Ka Dusht Nahi Sahi Sakey, Dusht Do Dvait Ki Dhrashti Bhaase Lyrics – इष्ट अवधूत का दुष्ट नहिं सहि सके, दुष्ट को द्वैत की दृष्टि भासै ।

Apne Ghat Mein Diyana Baroo Re Lyrics – अपने घट में दियना बारु रे॥

Apne Ghat Mein Diyana Baroo Re Lyrics : _________________________________________________________________ 1. घट के भीतर बहुत अंधेरा, ब्रह्म अग्नि उजियारु रे। 2. जगमग जोत निहारु मंदिर में, तन मन सब भारु रे। 3. झूठी जान जगत की आशा, बारम्बार बिसारु रे। 3. कहैं कबीर सुनो भाई साधो, आपन काज सँवारु रे। _________________________________________________________________ 1. Ghat ke bhitar bahut andhera, brahma agni ujiyaru re। 2. Jagamag jot niharu mandir… Read More »Apne Ghat Mein Diyana Baroo Re Lyrics – अपने घट में दियना बारु रे॥