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kabir Bhajan Lyrics

Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics – आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥

Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics : _________________________________________________________________ आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥ टेक   हरि सो हीरा हाथ से खोयो, मूठी बाँधे कंकड़ से हो ॥ १  सत्संगति में लाभ बहुत है, साधु मिलावै हरि से हो ॥ २  मूरख जन कोइ जानत नाहीं, साधु से अमृत बरसे हो॥ ३ कहहि कबीर सुनो… Read More »Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics – आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥

Chadar ho gayi bahut purani, ab to soch samajh abhimaani Lyrics – चादर हो गई बहुत पुरानी, अब तो सोच समझ अभिमानी। टेक

Chadar ho gayi bahut purani, ab to soch samajh abhimaani Lyrics : _________________________________________________________________ चादर हो गई बहुत पुरानी, अब तो सोच समझ अभिमानी। टेक अजब जुलाहा चादर बीनी, सूत करम की तानी। सुरत निरति का भरना दीनी, तब सबके मन मानी। १ मैले दाग परे पापन के, विषयन में लपटानी। ज्ञान का साबुन लाय न धोया, सतसंगति का पानी। २ भई खराब गई अब सारी,… Read More »Chadar ho gayi bahut purani, ab to soch samajh abhimaani Lyrics – चादर हो गई बहुत पुरानी, अब तो सोच समझ अभिमानी। टेक

Nar ko nahin parteet hamari Lyrics – नर को नहिं परतीत हमारी ।

Nar ko nahin parteet hamari Lyrics : _________________________________________________________________ नर को नहिं परतीत हमारी ।झूठा बनिज कियो झूठे सो, पूँजी सबन मिलि हारी । टेक घट दर्शन मिलि पन्थ चलायो, तिरदेवा अधिकारी । राजा देश बड़ो परपंची, रैयत रहत उजारी । १ इतते उत उतते इत रहहू, यम की साँड़ सवारी । ज्यों कपि डोर बाँध बाजीगर, अपनी ख़ुशी परारी । २ इहै पेड़ उत्पति परलय… Read More »Nar ko nahin parteet hamari Lyrics – नर को नहिं परतीत हमारी ।