Chaar din apni naubati chaley bajayi Lyrics :
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चार दिन अपनी नौबति चले बजाइ।
उतानैं खटिया गड़िले मटिया, संगि न कछु लै जाइ। १
देहरी बैठी मेहरी रोवै, द्वारे लगी सगी माई।
मरघट लौं सब लोग कुटुंब मिलि, हंस अकेला जाई। २
वहि सुत वहि बित वहि पुर पाटन, बहुरि न देखै आई।
कहत कबीर भजन बिन बंदे, जनम अकारथ जाई। ३
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