Dagariya bhool gayee main, kehi bidhi ghar ko jaanv Lyrics :
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डगरिया भूल गई मैं , केहि बिधि घर को जावं । टेक
पन्थ चलत कैसे दिन बीते, ढूंढ़ अनेकन भाव ।
नाना कर्म करत मन हारे , ज्यों मृग जल को धाव । १
बेद को पढ़ि-पढ़ि पंडित भूले ,चतुर न पावहि ठाँव ।
जेहि पूछो सो नाम बतावै , नाहि दिखावै गाँव । २
भरमक पंथ परा जग सारा , कुशल कहूँ नहि पाव ।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, छोड़ि भरम घर आव । ३
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