Griha jini jaanou ruddhho re Lyrics :
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ग्रिह जिनि जानौं रूढो रे।
कंचन कलस उठाइ लै मंदिर, राम कहे बिन धूरौ रे। टेक
इन ग्रिह मन डहके सबहिन के,काहू को परौ न पूरौ रे।
राजा राना राव छत्रपति, जरि भये भसम कौ कूरौ रे। १
सबतें नीकी संत मंडलिया, हरि भगतनि कौ भेरो रे।
गोविंद के गुन बैठे गैहैं, खैहैं टूकौ टेरो रे। २
ऐसी जानि जपो जगजीवन, जम सूं तिनका तोरौ रे।
कहैं कबीर राम भजबे को, एक आध कोई सूरौ रे। ३
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