Ja kul bhakti bhaag bad hoee Lyrics :
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जा कुल भक्ति भाग बड़ होई।
गनिये न बरण अबरन रंग धन, विमल बंस है सोई। टेक
ब्राह्मण छत्री वैश्य शूद्र सम, जाति चंडाल मलेच्छ जो होई।
होय पुनीत भजे भगवंता, आप तरे तारे कुल दोई। १
धन वह गाँव ठाँव सो पावन, होत पुनीत संग के लोई।
सुर पण्डित अौ नृपति जहाँ तक, भक्ति बराबर तुले न कोई। २
लेत नाम निज पियत सुधारस, तजि संसार जानि जैसे छोई।
पुरइन पत्र समान रहत जल, कहहि कबीर जग में जन सोई। ३
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