Jo jo dekhoon so so rogi, rog rahat mere Satgur jogi Lyrics :
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जो जो देखूँ सो सो रोगी, रोग रहित मेरे सतगुरु जोगी । टेक
हम निरोग मन मोक्षहि दीन्हा, काम रोग एक निर्वंश कीन्हा । १
जिभ्या रोग से मीन फंसाना, वासना रोग कमर लपटाना । २
दृष्टि रोग जल मरत पतंगा, नाग भयो पड़ कान सुरंगा । ३
हेतहि रोग सकल संसारा , त्रिरोग से बँधत विकारा । ४
रोगे जन्महि रोज मरहि , फेर आनि संकट में परहि । ५
सतगुरु साहेब जब दया कीन्हीं, कहत कबीर गुरु रोग लै लीन्हीं । ६
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