Karo Na Koi Mann Ki Parteet Lyrics :
_________________________________________________________________
करो न कोई मन की परतीत।
थाह बताय डुबावत भव में, बनि हितकारी मीत। टेक
गने न उदय अस्त निसिवासर, छाँह धूप जल सीत। १
भटकत फिरे निरंतर चहुँ दिश, ऐसो महा पलीत। २
स्वर्ग पताल जाय एकपल में, कपि सम अति निर्भीत। ३
गण गन्धर्व असुर सुर किन्नर, सबको लीन्हा जीत। ४
ऋषि मुनि जोगी अौ बनबासी, तपसी सिद्ध अतीत। ५
छले सकल ज्ञानी विज्ञानी, बहु विधि करि अनरीत। ६
सुने न एक सीख काहू की, गावै अपना गीत । ७
कहैं कबीर डरे यह तिनसे, जिनका गुरु से प्रीत। ८
_________________________________________________________________