Khhaak jaan to khhaak mein rali jaavei, tab aapu gulaab samayiyey Lyrics :
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खाक जान तो खाक में रलि जावै, तब आपु गुलाब समाइये जी। १
यह नूर नवी तहकीक करै, तब आदि मुराद को पाइये जी। २
असमान की दृष्टि को गर्द करै, तब सुन्न समाधि लगाइये जी। ३
सुन्न छोड़ि बेसुन्न ते रहित होवै, तब धाम कबीर का पाइये जी। ४
वार पार की हद्द हदूद देखो, बिच आवना जावना लेखा है। ५
नदी नाव का यह संजोग बना, तहाँ मिलना जुलना देखा है। ६
देख भालि के यों आनंद करो, हम तुम में एक परे क्या है। ७
कोई वार रहै कोई पार रहै, दया संग कबीर बिबेका है। ८
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