Kit Jaavoge Kit Jaavoge Kab Tak Nij Roop Chhipaavogey Lyrics :
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कित जावोगे कित जावोगे कबतक निजरूप छिपावोगे ॥ टेक ॥
छोडूं मैं सब घरके काजा दूर धरूं सब जगकी लाजा
पकड रहूँ तेरा दरवाजा कैसे मुझे ह्टावोगे ॥ १
जोगन बन कर ढूंढन जावुं घर घर तेरा खोज लगावूं
पीछे फिरकर कबि न आवुं कौन जगा अटकावोगे ॥ २
तेरे कारण महल सजावुं चुनचुन कलियां सेज बिछावुं
चरणकमल में सिर लिपटावुं क्यों नहीं अंग लगावोगे ॥ ३
गुरु मेरा जब भेद बतावे पकड हाथ में हाथ मिलावे
ब्रम्हानंद रूप दरसावे फिर क्या जतन करावोगे ॥ ४
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