Koi Harijan Mitaavei Hamaar Khatka Lyrics :
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कोई हरिजन मिटावै हमार खटका। टेक
वृक्ष एक अधर में जामा, जड़ ऊपर पलई तरका। १
जल ऊपर लोहा उतराने, लौकी बूढ़ गई तरका। २
बाँचत बेद भेद नहिं पावत, बातों में रहता अटका। ३
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, सुइ नख माहिं जगत अटका। ४
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