Janam dhari jo na kiya satsang Lyrics – जन्म धरि जो न किया सत्संग।
Janam dhari jo na kiya satsang Lyrics : _________________________________________________________________ जन्म धरि जो न किया सत्संग।ताको केवल पशु करि मानो, यदपि मनुष का अंग। टेक करत अहार निद्रा भय मैथुन, लाग्यो विषय सुरंग। वामें अजहुँ न चेत्यो मूरख, काल करेगा भंग। १ काह भयो पीताम्बर पहिरे, चढ़े कु हस्ति तुरंग। वामें काह बड़ाई देखी, फूल्यो हृदय उमंग। २ निर्मल चित्त करि कभी न नहायो, संत स्वरूपी… Read More »Janam dhari jo na kiya satsang Lyrics – जन्म धरि जो न किया सत्संग।