Haribhajan binaa sukhanaahee re Lyrics – हरिभजन बिना सुखनाही रे
Haribhajan binaa sukhanaahee re Lyrics : _________________________________________________________________ हरिभजन बिना सुखनाही रेनर क्यों बिरथा भटकाई रे ॥ टेक ॥काशी गया द्वारका जावे चार धाम तीरथ फिर आवेमन की मैल न जाई रे ॥ १छाप तिलक बहु भांत लगाये सिरपर जटा बिभूति रमायेहिरदे शांति न आई रे ॥ २बेद पुराण पढे बहु भारी खंडन मंडन उमर गुजारीबिरथा लोक बडाई रे ॥ ३चार दिवस जग बीच निवासा ब्रम्हानंद… Read More »Haribhajan binaa sukhanaahee re Lyrics – हरिभजन बिना सुखनाही रे