Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics – आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥
Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics : _________________________________________________________________ आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥ टेक हरि सो हीरा हाथ से खोयो, मूठी बाँधे कंकड़ से हो ॥ १ सत्संगति में लाभ बहुत है, साधु मिलावै हरि से हो ॥ २ मूरख जन कोइ जानत नाहीं, साधु से अमृत बरसे हो॥ ३ कहहि कबीर सुनो… Read More »Aan Pada Choran Ke Nagar, Satsang Bina Jiya Tarse Ho Lyrics – आन पड़ा चोरन के नगर, सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥