Sadguru Hai Purusha Akela Lyrics – सतगुरु है पुरुष अकेला। पिंड ब्रह्मण्ड के बाहर मेला
Sadguru Hai Purusha Akela Lyrics : _________________________________________________________________ सतगुरु है पुरुष अकेला। पिंड ब्रह्मण्ड के बाहर मेला ।1। दूर ते दूर ऊँच तें ऊँचा। बाट न घाट गली नहिं कूचा ।2। आदि न अंत मध्य नहिं तीरा, अगम अपार अति गहिर गँभीरा ।3। कच्छ दृष्टि तह ध्यान लगावै। पल मह कीट भृंग होइ जावै ।4। जैसे चकोर चंद के पासा। दीसै धरती बसै अकासा ।5। कह… Read More »Sadguru Hai Purusha Akela Lyrics – सतगुरु है पुरुष अकेला। पिंड ब्रह्मण्ड के बाहर मेला